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बालो की बीमारियां और उनके इलाज [ Hair Fall Treatment ] - Ayurvedic Advise


hair fall treatment

एक व्यक्ति में औसतन 5 लाख बल होते है। और यह होठ ,हथेलिया और पेरो के तलवो के अलावा शरीर के बाकि हिस्सों में बढ़ते है। स्वस्थ बाल एक महीने में लगभग आधा इंच बढ़ते है और गिरने से पहले छह साल तक बढ़ते है। और गिरने पर इनकी जगह नए बाल आ जाते है। लेकिन कुछ असामयिक और गंभीर कारणों से बालो के झड़ने की  समस्या आती है। ये बालो की बीमारिया गंजा करने के साथ आपके आत्मसम्मान में भी कमी पैदा कर सकती है। वास्तव में बालो का झड़ना कई गंभीर त्वचा की स्थिति की तुलना में अधिक कष्टकारी होता है। और इसके लिए उपाय करना भी आसान नहीं होता है।

एंड्रोजेनिक एलोपेसिया 
एंड्रोजेनिक एलोपेसिया में बाल जिअं चक्र का पहला चरण है। जिसमे वह अपना कार्यकाल पूरा करने में विफल रहते है। जिसके परिणामस्वरूप बाल कम हो जाते है। यह बालो के झड़ने की बीमारी आमतौर पर विरासत में मिलती है और इसके प्रमुख लक्षण बालो के रोम का उत्पादन सामान्य से पतले होना है। इसमें बाल पतले और पतले होते जाते है और अंत में स्केल्प से अलग हो जाते है। 

एंड्रोजेनिक एलोपेसिया का इलाज 
अमेरिका फ़ूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने एंड्रोजेनिक एलोपेसिया के इलाज के लिए दो दवाइयों को मंजूरी दे दी है। ये दवाइया मिनोक्सिडिल फिनस्टराइड है। मिनोक्सिडिल कूप में रक्त की आपूर्ति में वृद्धि करती है। जिससे बालो की गर=ग्रोथ होने लगती है। दूसरी फिनस्टराइड पुरुषो में एंड्रोजेनिक एलोपेसिया की प्रगति को कम करने में मदद करती है। और कई रोगियों में यह बालो के फिर से विकास को प्रेरित करती है।

टेलोजन इफ्लुवियम 
बालो की कई किस्मे लम्बे समय के लिए आराम चरण में रहती है। इसके कारण बालो के पतले होने और झड़ने की समस्या होती है। कुछ स्थिति में तो सिर के लगभग आधे बल प्रभावित होते है। यह स्थिति तीन महीने तक बनी रह सकती है।टेलोजन के कुछ सामान्य लक्षणों में पोषण की कमी ,तनाव और  हामोर्नल असंतुलित शमिल है।

टेलोजन इफ्लुवियम का इलाज 
सक्रिय टेलोजन एफ्लुवियम के लिए कोई कारगर सिध्द इलाज नहीं है। हालाँकि आहार विशेषज्ञ की मदद से अंसुलीन आहार से होने वाली बालो की समस्या को संतुलित आहार द्धारा नियंत्रित किया जा सकता है। अगर कोई नई दवा शुरू करने के बाद बालो के झड़ने की समस्या शुरू होती है ,तो अपने डॉक्टर से बात करके दवा को बंद कर सकते है।

टियना केपिटिस 
टियना केपिटिस में खोपड़ी  त्वचा पर नंगे पेच की दिखाई देने लगते है। इस रोग का कारण कवक संक्रमण होता है। यह न केवल आपको स्केल्प के बालो को बल्कि आइब्रो और पलको को को प्रभावित करता है। ज्यादातर 10 से कम आयु के बच्चे इस रोग से प्रभावित होते है। यह त्वचा की समस्या से कहि अधिक गंभीर होती है। इसे स्केल्प पर दाद या रिंगवर्म के रूप में जाना जाता है।

टियना केपिटिस का इलाज
आपकी  त्वचा विशेषज्ञ स्केल्प पर दाद के इलाज के लिए ग्रीसोफुल्विन ,टर्बिनफाइन और इंट्राकोनाजोल नामक दवाओं की सलाह देता है। यह दवाई 4 -8 सफ्ताह के निर्धारित की जाती है। और डॉक्टर उस क्षेत्र को साफ रखने के लिए कहता है। इसके अलावा चिकित्सक भी धीमा या संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए ,केटोकोनाजोल या सेलेनियम सल्फाइड आधारित औषधीय शेम्पू इस्तेमाल की सलास देते है। 
बालो की बीमारियां और उनके इलाज [ Hair Fall Treatment ] - Ayurvedic Advise बालो की बीमारियां और उनके इलाज [ Hair Fall Treatment ] - Ayurvedic Advise Reviewed by Mr. Dinesh kumawat on 09:44 Rating: 5

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